यंत्र

जैसे अंधेरा मिटाने को प्रकाश चाहिए। वैसे विपदा मिटाने को प्रयास चाहिए ।।                  

हमारे जीवन में आने वाला सुख-दुखः हमारे कर्मों से परे नहीं है, लेकिन अक्सर हमें देखने को मिलता रहता है कि अच्छे कर्मों में लगे रहने के बावजूद भी अचानक हम पर पर्वत सा दुखः टूट पड़ता है, ये भी हमारे जान-अनजान कर्मों से ही बंधा हुआ होता है, चाहे वर्तमान हो या चाहे प्रारब्द्ध काल। जब हमारे उपर मुशकीलों का दौर चलता है तब हम सैकड़ों उपाय ढूढ़ने में लग जाते हैं, उसी सैकड़ों उपायों में से एक विशेष उपाय होता है यंत्र का स्थापन। मैंने यहां पर जरूरत को ध्यान रखते हुए विशेष यंत्र स्थापित करने को दर्शाया है। यंत्र का महत्व मान कर उससे लाभ प्राप्त करने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। प्रत्येक आविष्कार के मूल में उसकी आवश्यकता छिपी होती है। इस तरह से यंत्र साधना एक लम्बे युग से चली आ रही है तथा श्रद्धावान लोग इससे विशेष लाभ उठाते रहते हैं। यंत्रों पर विश्वास करने से आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है, साथ ही श्रद्धा फलती है। जिनको यंत्रों पर विश्वास होता है, उन्हें इनका फल भी जरूर देखने को मिलता है। यंत्रों में मन्त्रों की भी शक्ति निहित रहती है। हर मनुष्य वेदपाठी नहीं होता है जिससे मन्त्रों का सही उच्चारण कर सके, गलत मंत्र का इस्तेमाल सही नहीं है। यंत्र हमारे विश्वास से जुड़ा हुआ है। यंत्र स्थापित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। यंत्र- सोना, चाँदी, ताँबा, अष्टधातु तथा स्फटिक मणि पर अंकित अति शुभदायक माना जाता है। अलग-अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अलग-अलग यंत्रों के पूजन का महात्म महाऋषियों ने सुझाया है। जिसमें कुछ इस प्रकार से है। १-श्री यंत्र, २-महालक्ष्मी यंत्र, ३-गणेश यंत्र, ४-विष्णु यंत्र, ५-कनक धारा यंत्र, ६-राम रक्षा यंत्र, ७-बीसा यंत्र, ८-दुर्गा यंत्र, ९-गायत्री यंत्र, १०-हनुमान यंत्र, ११-सुख समृद्धि यंत्र, १२-संतान गोपाल यंत्र, १३-बंगला मुखी यंत्र, १४-त्रिपुर भैरवी यंत्र, १५-कुबेर यंत्र, १६-महामृत्युंजय यंत्र, १७-धनदा यंत्र, १८-वशीकरण यंत्र, १९-नवदुर्गा यंत्र, २०-सरस्वती यंत्र, २१-अलग-अलग नवग्रह यंत्र, २२-घंटा करण यंत्र, २३-चरण पादुका यंत्र, २४-व्यापार वृद्धि यंत्र, २५-कालसर्प योग दोष निवारक यंत्र, २६-वाहन दुर्घटना नाशक यंत्र, २७-ग्रह पीडा निवारक यंत्र, २८-महा काली यंत्र, २९-शुभ-लाभ यंत्र, ३०-कार्य सिद्धि यंत्र, ३१-वास्तु यंत्र, ३२-दस दिशी यंत्र, ३३-वटुक भैरव यंत्र, ३४-काला वटुक-सफेद वटुक यंत्र, ३५-स्वपनेश्वरी यंत्र, ३६-गौरी-शंकर यंत्र, ३७-गृह कलेश निवारण यंत्र, ३८-नरसिंह यंत्र, ३९-कामाख्या यंत्र, ४०-यंत्रराज यंत्र आदि । इस तरह से हजारों यंत्र होते हैं। खैर अपने को अगर एक ग्लास पानी से संतुष्टी हो जाय तो समुद्र या किसी नदी इतना पानी का क्या आवश्यकता । आपने सुना भी होगा, एक छोटी सी चींटी हाथी को मार सकती है, एक छोटा सा अंकुश मतवाला हाथी को वस में रख सकता है, एक छोटा सा दवा का टुकड़ा बड़ा असाध्य बीमारी को दुर कर सकता है तो एक छोटा सा उपाय हमारे दुखः समुहों को क्यों नहीं कम कर सकता है। वैसे तो अपनी इच्छा मानो तो देव नहीं तो पत्थर।

आपके लिए विशेष फल दायक हो सकता है-

श्रीयन्त्रः- यश तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिये।

श्री महालक्ष्मी यन्त्रः- धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि प्राप्ति के लिये।

श्री महामृत्युंजय यन्त्रः- स्वास्थ्य कष्ट दूर करने हेतु।

श्री दुर्गा यन्त्रः- विशेष संकट निवारण हेतु।

श्री बीसा यन्त्रः- भूत प्रेत बाधा हटाने के लिये एवं सभी प्रकार के कल्याण हेतु।

श्री मंगल यन्त्रः- विवाह तथा शुभ कार्य में आये विघ्न हटाने एवं पुत्र प्राप्ति के लिये।

श्री बंगलामुखी यन्त्रः- मुकदमा कार्य सिद्धि और शत्रु पर विजय पाने के लिये।

श्री कुबेर यन्त्रः- धनपति बनने के लिये।

श्री गणेश यन्त्रः- रिद्धि-सिद्धि के लिये।

श्री सरस्वती यन्त्रः- ज्ञान प्राप्ति के लिए।

इस तरह अपने सुकार्य योजना के लिए यंत्र स्थापित कर पूजन करना चाहिए। परन्तु यंत्रों को प्रयोग से पूर्व शुद्ध कर लेना और प्रतिष्ठित कर लेना अति आवश्यक होता है। विशेष जानकारी के लिए तथा किसी भी प्रकार के यन्त्र प्रतिष्ठित हेतु आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।