हस्तरेखा

हस्त रेखा विज्ञान बहुत प्राचीन विज्ञान है, जो कि ज्योतिष शास्त्र का ही एक अंग है, जिसको हस्त रेखा विज्ञान कहते हैं। किसी भी व्यक्ति के हाथ के गहन अध्यन द्वारा उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों के बारे में आसानी से बताया जा सकता है। हस्त में बने चिन्हों एवं पर्वों को अलग अलग राशियों में विभाजित कर उससे भविष्य का आकलन किया जाता है। हस्त रेखा व्यक्ति के अतीत, वर्तमान और भविष्य जानने की एक प्राचीन विज्ञान है। नारद, वाल्मीकि, गर्ग, भृगु, पराशर, कश्यप, अत्री, बृहस्पति, प्रहलाद, कात्यायन, वराहमिहिर आदि ऋषि मुनियों ने इस पर बहुत काम किये हैं। इसके बारे में स्कंध पुराण, भविष्य पुराण, बाल्मीकि रामायण, महाभारत, हस्तसंजीवनी आदि ग्रंथो में वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले समुद्र नामक ऋषि ने इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया, इसीलिए इसे सामुद्रिक शास्त्र के नाम से भी जाना जाने लगा। भविष्य की घटनाओं के बारें में पता लगाने के लिए ज्योतिष के आधार पर विभिन्न शाखाओं का निर्माण किया गया था जैसे कि- फलित ज्योतिष, गणित ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्त रेखा ज्योतिष विज्ञान आदि। ये किसी भी संस्कृति, क्षेत्र और धर्म तक सीमित नहीं है। यह दुनिया भर में विविध सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पाया जाता है। जन्म कुंडली बनाने में समय के हेर-फेर से किसी व्यक्ति की कुंडली गलत भी बन सकती है, लेकिन हाथ की रेखाएं तो सामने होती है, इसलिए गलत होने का प्रश्न ही नहीं उठता। ज्योतिषी मानते हैं कि हस्तरेखा-विज्ञान से किसी भी व्यक्ति के तीनों काल और उसकी प्रवृति के बारे में जाना जा सकता है। इस शास्त्र के माध्यम से अनेकों की गयी भविष्यवाणियां लगभग पूर्णतया सत्य होती है। गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के हाथ में लकीरो का जाल बुन जाता है, जो कि जन्म से लेकर मृत्यु तक रेखाओं के रुप में विद्यमान रहता है। इसे हस्त रेखा के रुप में जाना जाता है। सामान्यतया सोलह वर्ष तक की आयु के बच्चों की हस्त रेखाओं में परिवर्तन अधिक मात्रा में होती रहती है, उसके बाद परिवर्तन की गति धीमी हो जाती है। हाथ का विश्लेषण करते समय हाथ की बनावट के साथ-साथ हाथों की प्रत्येक रेखा, हर पर्वत, उभार, रेखाओं का मिलान व कटाव एवं उंगलियों के आकार तथा हथेली की त्वचा के रंग आदि का विश्लेषण किया जाता है। व्यक्ति का बायां हाथ 'जन्म हाथ' कहा जाता है जो व्यक्ति के अवचेतन मन तथा विरासत में प्राप्त विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है और उस व्यक्ति के दाहिने हाथ से चेतन मन का जो अपनी पहचान, योग्यता और उसके ग्रहण करने की क्षमता जैसी विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। आम तौर पर पुरुषो का दायाँ हाथ तथा स्त्रियों का बायाँ हाथ देखा जाता है। अधिक जानकारी के लिए आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।