केमद्रुम योग शान्ति पूजा अनुष्ठान

ज्योतिष शास्त्र में केमद्रुम योग को काफी महत्व दिया गया है। जब जन्म पत्रिका में चन्द्रमा से द्वितीय और द्वादश भाव में कोई भी ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है। केमद्रुम योग कुल १२ प्रकार का माना जाता है। अलग-अलग भाव में यह योग बनने से कुछ अलग-अलग विशेष फल देने वाला मना जाता है। यदि चन्द्रमा के साथ राहु या केतु हों तो अत्यन्त कष्टकारी परिणाम देने वाला हो जाता है। केमद्रुम योग में चन्द्रमा की दशा आने पर परिस्थितियां विपरीत होने लगती है। सर्वसाधन सम्पन्न होने के बावजूद भी व्यक्ति अभाव ग्रस्त होने लगता है। ज्योतिष शास्त्र के अशुभ कारक ग्रह योगों में से यह एक योग है। इस से धन का संग्रह नहीं हो पाते, कारोबार में नाना प्रकार के व्यवधान आते रहते हैं, व्यक्ति भयभीत रहता है, निकट सम्बन्धियों से कष्ट एवं संघर्षमय जीवन बिताना पड़ता हैं। जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते हैं। केमद्रुम योग अधिकतर बाहरी काम काजों को प्रभावित करके रखता है। इस कुयोग की शान्ति कराना अति आवश्यक होता है। किसी अच्छे मुहूर्त में विद्वान आचार्य के द्वारा केमद्रुम योग शान्ति पूजा अनुष्ठान को  सम्पन्न कराएं । विशेष जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

|| पूजा अनुष्ठान ||