रुद्राक्ष

भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष को शिव का अंश माना जाता है। रुद्राक्ष को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि- शिवाक्ष, शर्वाक्ष, भावाक्ष, फलाक्ष, भूतनाशन, पावन, हराक्ष, तृणमेरु, अमर और पुष्पचामर आदि। आयुर्वेद ग्रंथों में भी रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन काफी मिलता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में रुद्राक्ष को महौषधि, दिव्य औषधि आदि के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। अगर आपको लगता है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा और लगातार अपना नुक्सान हो रहा है तो आपको शिव के मन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा कर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से शनि, राहु, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होता है। इसे धारण करने से जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं से भी आपको राहत मिलता रहेगा। रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है। कार्य, व्यवसाय में सफलता प्राप्त होता है। रुद्राक्ष का एक हमशक्ल और भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार होती है। रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है। इसके सिवा भी नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है। शिव अश्रु से उत्पन रुद्राक्षों की महिमा कई सारे ग्रन्थ पुराणों में देखने को मिलता रहता है।

अपने राशि के अनुसार अपने रुद्राक्ष माला से एक माला इन मन्त्रों का जाप जरूर करना चाहिए, राशि के अनुसार मन्त्र इस प्रकार हैं -    

1. मेष राशि वालों के लिए ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायण नमः।

2. वृष राशि वालों के लिए ॐ गोपालय उत्तरध्वजाय नमः।

3. मिथुन राशि वालों के लिए ॐ क्लीं कृष्णाय नमः।

4. कर्क राशि वालों के लिए ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्त रूपिणे नमः।

5. सिंह राशि वालों के लिए ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नमः।

6. कन्या राशि वालों के लिए ॐ नमो प्रीं पिताम्बराय नमः।

7. तुला राशि वालों के लिए ॐ तत्वनिरन्जनाय तारकरामाय नमः।

8. वृश्चिक राशि वालों के लिए ॐ नाराणाय सुरसिंहाय नमः।

9. धनु राशि वालों के लिए ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वषताय नमः।

10. मकर राशि वालों के लिए ॐ श्री वत्सलाय नमः।

11. कुम्भ राशि वालों के लिए ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्चुताय नमः।

12. मीन राशि वालों के लिए ॐ क्लीं उद्धृताय उद्धरिणे नमः।

इसके सिवा मैं आपको बतादूँ कि एक से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्षों का अपना अलग-अलग मन्त्र होता है जो इस प्रकार है-

एक मुखी का- ॐ ह्रीं नमः। दो मुखी का- ॐ नमः। तीन मुखी का- ॐ क्लीं नमः। चार मुखी का- ॐ ह्रीं नमः। पांच मुखी का- ॐ ह्रीं नमः। छ: मुखी- ॐ ह्रीं हुँ नमः। सात मुखी का- ॐ हुँ नमः। आठ मुखी का- ॐ हुँ नमः। नो मुखी का- ॐ ह्रीं हुँ नमः। दस मुखी का- ॐ ह्रीं नमः। इग्यारह मुखी का- ॐ ह्रीं हुँ नमः। बारह मुखी का- ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः। तेरह मुखी का- ॐ ह्रीं नमः। चौदह मुखी का- ॐ नमः।

ग्रह और राशि के हिसाब से विशेष लाभ कारी रुद्राक्ष कौन सा है उसे इस प्रकार जानना चाहिए-

1. सूर्य- सिंह राशि वालों के लिए एक मुखी तथा बारह मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

2. चन्द्र- कर्क राशि वालों के लिए दो मुखी तथा गौरीशंकर रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

3. मंगल- मेष तथा वृश्चिक राशि वालों के लिए तीन मुखी तथा चौदह मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

4. बुध- मिथुन तथा कन्या राशि वालों के लिए तेरह मुखी तथा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

5. गुरु- धनु तथा मीन राशि वालों के लिए चौदह मुखी या एक मुखी तथा सात मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

6. शुक्र- वृष तथा तुला राशि वालों के लिए तेरह मुखी, छः मुखी तथा दस मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

7. शनि- मकर तथा कुम्भ राशि वालों के लिए एक मुखी या चौदह मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

8. राहु- आठ मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है। 

9. केतु तीन मुखी रुद्राक्ष शुभ माना जाता है।

रुद्राक्ष पहनने से पहले उसका प्राण-प्रतिष्ठा जरूर ही कर लेना चाहिए। वैसे तो रुद्राक्ष बिना प्राण-प्रतिष्ठा किये पहना जा सकता है तथापि प्राण-प्रतिष्ठा करके पहनना या पूजन करना विशेष शुभ माना जाता है। प्राण-प्रतिष्ठा करने से पहले आप रुद्राक्ष को पंचगव्य (गाय का गोबर, गोमूत्र, गाय का दूध, गाय दूध का दही, गाय का घी) या पंचामृत (गाय का दूध, गाय दूध का दही, गाय का घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराना चाहिये, तत्पश्चात् प्राण-प्रतिष्ठा वाले मन्त्रों से १०८ माला मन्त्रों को उच्चारण कर प्रतिष्ठित कर लें। ध्यान रखें की एक बार में एक या एक से अधिक रुद्राक्षों को प्रतिष्ठित किया जा सकता है। इस मंत्र के सिवा भी अलग-अलग मन्त्र है जिससे प्रतिष्ठित किया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र:-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥

ॐ हौं अघोरे घोरे हुँ घोरतरे हुँ। ॐ हीं श्री सर्वतः सवड़िग नमस्ते रुद्ररूपे हुम ॥

 

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