चलो अयोध्या अभी चले हम…
चलो अयोध्या अभी चले हम, राम लला घर आये हैं ।
अपने नाम के हीरे मोती, गली-गली बिखराये हैं ॥
जिस-जिस ने यह लुटे मोती, वह तो मालोमाल हुए ।
जो मोह माया में जा फस गए, आखिर में कंगाल हुए ॥
लूट मची है चलो लूटने, सारे लूटन आये हैं ॥
अपने नाम के हीरे मोती, गली-गली बिखराये हैं ॥
सुनो जी दौलत के दीवाने, एक दिन ऐसा आएगा ।
धन और दौलत माल खजाना, यहीं पड़ा रह जायेगा ॥
रह जायेगा राम पोटली, जिसमें राम समाये हैं ॥
अपने नाम के हीरे मोती, गली-गली बिखराये हैं ॥
एक दिन सारे सगे सम्बन्धी, पास तेरे जो आएंगे ।
कल तक जो अपना कहते थे, मिलकर तुम्हें जलाएंगे ॥
सभी कहेंगे सत्य राम हैं, जो जग दीप जलाये हैं ॥
अपने नाम के हीरे मोती, गली-गली बिखराये हैं ॥
राम हमारे हम राम के, ऐसा भाव जगाते चलो ।
हुआ सबेरा जल्द उठो अब, राम नीर बरसाते चलो ॥
बसते 'कौशल' जीव जगत जो, कण-कण में समाये हैं ॥
अपने नाम के हीरे मोती, गली-गली बिखराये हैं ॥
पंडित: कौशल कुमार झा (ज्योतिषाचार्य)